शुक्रवार, 13 जुलाई 2018

एक चाँद आसमां मे
एक चाँद मेरे दिल मे रहता है..
ज़हिन है मेरा चाँद ए क़ल्ब
हिस्सा मेरी शख्सियत का
सुकूं देता है तसल्ली देता है..
असास नज़ाफ़त का
साजिशें नही ज़माने की
सरग़ोशियां नही फ़साने की
अक्स पूरा जो, मुझको मेरा देता है..
चाँद आसमां का तो घुला जाता है
रूह का चाँद कोई ग़ुबार नही
ये न घुलता है न फ़ना होता है..
लम्हा लम्हा वक्त के दामन पर
क़तरा क़तरा जज़्ब हुआ चाँद
मेरे अक्स मे शामिल इस तरह
जैसे एक चाँद आसमां मे रहता है..

   नम्रता सरन "निर्मल"
   भोपाल मप्र
   कॉपीराइट एक्ट के अधीन

क़ल्ब- दिल, आत्मा    असास-नींव     नज़ाफ़त-शुद्धता, पवित्रता.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें